मौलिक अधिकार के रूप में प्राथलमक लिक्षा के प्रति दृष्टिकोण को आकार देने में कानूनी और सामाष्िक कारकों की भूलमका

Authors

  • निरंकार राम त्रिपाठी शोधार्थी, शशक्षा ववभाग, एि आई आई एल एम ववश्वववद्यालय Author
  • डॉ. सररता खरवाल प्रोफ़े सर, शशक्षा ववभाग, एि आई आई एल एम ववश्वववद्यालय Author

Abstract

यह अध्ययि तीि सारणीबद्ध अभ्याव़ेदि क़े माध्यम स़े "प्रार्थशमक शशक्षा को मौशलक अधधकार क़े रूप में आकार द़ेि़े में
कािूिी और सामाजिक कारकों की भूशमका" क़े वैचाररक ढांच़े और संचालि का गंभीर रूप स़े ववश्ल़ेषण करता है। ताशलका 1
शीषषक क़े मुख्य घटकों का ववश्ल़ेषण करती है, जिसस़े एक स्पष्ट संरचिा का पता चलता है ल़ेककि अंतसंबंधों की खोि का
अभाव है। ताशलका 2 कािूिी और सामाजिक कारकों पर ववस्तार करती है, उदाहरण और संभाववत प्रभावों की प़ेशकश
करती है; हालााँकक, यह अत्यधधक सरलीकरण का िोखखम उठाता है और प्रासंधगक बारीककयों की उप़ेक्षा करता है। ताशलका
3 दृजष्टकोण की िांच करती है, माप संक़े तक और संभाववत ववववधताएं प्रदाि करती है, किर भी यह मुख्य रूप स़े
अंतनिषहहत तंि में िाि़े क़े त्रबिा मतभ़ेदों पर ध्याि कें हित करती है। इस ववश्ल़ेषण का तकष है कक यद्यवप ताशलकाएाँ एक
उपयोगी प्रारंशभक त्रबदं ु प्रदाि करती हैं, उन्हें कािूिी, सामाजिक और व्यवहाररक आयामों की गनतशील परस्पर किया क़े
सार्थ महत्वपूणष िुडाव की आवश्यकता होती है। अध्ययि ववभाजित अभ्याव़ेदि स़े आग़े बढ़ि़े और शैक्षक्षक दृजष्टकोण को
आकार द़ेि़े वाली प्रासंधगक िहटलताओं पर ववचार करि़े की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। इसक़े अलावा, संभाववत
प्रभावों और ववववधताओं पर ताशलकाओं की निभषरता क़े शलए दावों को प्रमाखणत करि़े क़े शलए अिुभविन्य सत्यापि की
आवश्यकता होती है। महत्वपूणष ववश्ल़ेषण प्रार्थशमक शशक्षा को मौशलक अधधकार क़े रूप में आकार द़ेि़े में कािूिी,
सामाजिक और व्यवहाररक कारकों की उभरती गनतशीलता को पकडि़े क़े शलए शमधित-पद्धनत दृजष्टकोण और अिुदैध्यष
अध्ययि को नियोजित करि़े क़े महत्व को ऱेखांककत करता है।

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Published

2022-01-06

How to Cite

मौलिक अधिकार के रूप में प्राथलमक लिक्षा के प्रति दृष्टिकोण को आकार देने में कानूनी और सामाष्िक कारकों की भूलमका. (2022). INTERNATIONAL JOURNAL OF MANAGEMENT RESEARCH AND REVIEW, 12(1), 1-11. https://ijmrr.com/index.php/ijmrr/article/view/395