आज के सामाजिक यथार्थ और हिंदी दलित साहित्य में जीवन अनुभव: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Keywords:
दलित साहित्य, सामाजिक यथार्थ, जीवन अनुभव, जातिगत भेदभाव, साहित्यिक अभिव्यक्तिAbstract
प्रस्तुत शोध पत्र आज के सामाजिक यथार्थ और हिंदी दलित साहित्य में जीवन अनुभव के बीच संबंधों का विश्लेषण करता है। दलित साहित्य भारतीय समाज में हाशिये पर रहने वाले समुदायों के जीवन संघर्षों, सामाजिक भेदभाव और अस्मिता की खोज का दस्तावेज है। यह अध्ययन समकालीन समाज में जातिगत असमानता, आर्थिक शोषण और सामाजिक बहिष्कार के विभिन्न पहलुओं को दलित साहित्यकारों के जीवन अनुभवों के माध्यम से समझने का प्रयास करता है। शोध का उद्देश्य यह पता लगाना है कि दलित लेखकों के व्यक्तिगत अनुभव किस प्रकार साहित्यिक अभिव्यक्ति में परिवर्तित होते हैं। मिश्रित शोध पद्धति का उपयोग करते हुए, प्रमुख दलित साहित्यकारों की रचनाओं का विश्लेषण किया गया। परिणाम दर्शाते हैं कि दलित साहित्य केवल साहित्यिक विधा नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है। शोध यह निष्कर्ष प्रस्तुत करता है कि दलित जीवन अनुभव समकालीन सामाजिक यथार्थ को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करते हैं और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
