वैश्विक एवं धार्मिक विविधता में विवाह: स्वीकार्यता और सामाजिक विरोधाभास
Keywords:
अंतर्धार्मिक विवाह, धार्मिक विविधता, सामाजिक स्वीकार्यता, पारिवारिक दृष्टिकोण, सांस्कृतिक विरोधाभासAbstract
समकालीन भारतीय समाज में अंतर्धार्मिक विवाह एक जटिल सामाजिक घटना के रूप में उभरा है जो परंपरागत मूल्यों और आधुनिक दृष्टिकोणों के बीच संघर्ष को प्रदर्शित करता है। यह शोध पत्र धार्मिक विविधता के संदर्भ में विवाह की स्वीकार्यता और उससे जुड़े सामाजिक विरोधाभासों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अध्ययन में मिश्रित शोध पद्धति का प्रयोग करते हुए 500 प्रतिभागियों से प्राथमिक डेटा संकलित किया गया है। परिणाम दर्शाते हैं कि युवा पीढ़ी में अंतर्धार्मिक विवाह के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जबकि पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रतिरोध विद्यमान है। शोध से यह भी स्पष्ट होता है कि शैक्षणिक स्तर, शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक स्थिति अंतर्धार्मिक विवाह की स्वीकार्यता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं। अध्ययन सामाजिक समरसता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
