वैश्विक एवं धार्मिक विविधता में विवाह: स्वीकार्यता और सामाजिक विरोधाभास

Authors

  • रिकेश कुमार शोधार्थी, समाजशास्त्र विभाग कला संकाय, पी.के. विश्वविद्यालय, शिवपुरी (मध्य प्रदेश) Author
  • डॉ. साथी रॉय मंडल पर्यवेक्षक, समाजशास्त्र विभाग कला संकाय, पी.के. विश्वविद्यालय, शिवपुरी (मध्य प्रदेश) Author

Keywords:

अंतर्धार्मिक विवाह, धार्मिक विविधता, सामाजिक स्वीकार्यता, पारिवारिक दृष्टिकोण, सांस्कृतिक विरोधाभास

Abstract

समकालीन भारतीय समाज में अंतर्धार्मिक विवाह एक जटिल सामाजिक घटना के रूप में उभरा है जो परंपरागत मूल्यों और आधुनिक दृष्टिकोणों के बीच संघर्ष को प्रदर्शित करता है। यह शोध पत्र धार्मिक विविधता के संदर्भ में विवाह की स्वीकार्यता और उससे जुड़े सामाजिक विरोधाभासों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अध्ययन में मिश्रित शोध पद्धति का प्रयोग करते हुए 500 प्रतिभागियों से प्राथमिक डेटा संकलित किया गया है। परिणाम दर्शाते हैं कि युवा पीढ़ी में अंतर्धार्मिक विवाह के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जबकि पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रतिरोध विद्यमान है। शोध से यह भी स्पष्ट होता है कि शैक्षणिक स्तर, शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक स्थिति अंतर्धार्मिक विवाह की स्वीकार्यता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं। अध्ययन सामाजिक समरसता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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Published

2023-12-29

How to Cite

वैश्विक एवं धार्मिक विविधता में विवाह: स्वीकार्यता और सामाजिक विरोधाभास. (2023). INTERNATIONAL JOURNAL OF MANAGEMENT RESEARCH AND REVIEW, 13(4), 110-118. https://ijmrr.com/index.php/ijmrr/article/view/479