छत्तीसगढ़ में पर्यटन उद्योग की असीम संभावनाओ ं का सामाजिक अध्यर्न: दंतेवाडा जिले के परिप्रेक्ष्य में

Authors

  • संतोष टोप्पो शोधार्थी, सामाजिक जिज्ञान जिभाग, आई. एस. बी. एम. जिश्व जिद्यालय निापारा, गररयाबंद, छत्तीसगढ Author
  • डॉ योगमाया उपाध्याय सहेयक प्रोफे सर, सामाजिक जिज्ञान जिभाग, आई. एस. बी. एम. जिश्व जिद्यालय निापारा, गररयाबंद, छत्तीसगढ Author

Keywords:

पययटन नीजतयााँ, आजथयक जवकास, सामाजिक समावेजर्ता, प्राकृ जतक संसािन, िािरूकता काययिम.

Abstract

इस अध्ययन का उद्देश्य दंतेवाडा में पययटन के सामाजिक-आजथयक प्रभाव ं का जवश्लेषण करना है। 200 प्रजतभाजिय ं के
सवेक्षण के पररणाम दर्ायते हैं जक 85% ने दंतेवाडा की पययटन संभावनाओं क पहचाना, जिसमें सांस्कृ जतक जवरासत और
प्राकृ जतक स दं यय क प्रमुख आकषयण के रूप में माना िया [1]। आजथयक दृजिक ण से, 40% स्थानीय व्यवसाय ं ने पययटन
िजतजवजिय ं के कारण रािस्व में वृद्धि की सूचना दी, और 30% ने नई न कररय ं का सृिन जकया। इसके बाविूद, अध्ययन
ने महत्वपूणय चुन जतयााँ भी उिािर की हैं, िैसे अव्यवद्धस्थत बुजनयादी ढााँचा (70%), जवपणन की कमी (60%), और
पयायवरणीय जचंताएाँ (50%)। ये पररणाम स्पि करते हैं जक, हालााँजक स्थानीय िनसंख्या का पययटन के प्रजत सकारात्मक
दृजिक ण है, स्थायी जवकास के जलए बुजनयादी ढााँचे में सुिार, प्रभावी जवपणन रणनीजतय ,ं और स्थानीय समुदाय की भािीदारी
क बढाना आवश्यक है। के वल 40% प्रजतभाजिय ं ने पययटन जवकास पहल ं में सजिय रूप से भाि लेने की इच्चा व्यक्त की,
ि समावेजर्ता की आवश्यकता क दर्ायता है। इस प्रकार, दंतेवाडा में पययटन जवकास के जलए एक संरजचत और समावेर्ी
य िना की आवश्यकता है, ि स्थानीय िरूरत ंऔर पयायवरणीय संतुलन क ध्यान में रखे।

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Published

2024-12-12

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How to Cite

छत्तीसगढ़ में पर्यटन उद्योग की असीम संभावनाओ ं का सामाजिक अध्यर्न: दंतेवाडा जिले के परिप्रेक्ष्य में. (2024). INTERNATIONAL JOURNAL OF MANAGEMENT RESEARCH AND REVIEW, 14(10), 9-14. https://ijmrr.com/index.php/ijmrr/article/view/490

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